रविवार, 25 अक्तूबर 2015

अर्ज़ किया है- 12



निदा फाजली-
वो सितारा है चमकने दो यूँ ही आँखों में 
क्या जरूरी है उसे जिस्म बनाकर देखो.

निदा फाजली-
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है 
मिल जाये तो मिट्टी है खो जाये तो सोना है.

मजरूह सुल्तानपुरी-
मुझे सहल हो गयी मंजिलें वो हवा के रुख भी बदल गये 
तेरा हाथ हाथ में आ गया के चराग राह में जल गये.

डा. के.के. ऋषी-
चल रही हैं नफरतों की आँधियाँ 
हशर का सामान होता जा रहा है.

मजरूह सुल्तानपुरी-
देख जिन्दां से परे रंग चमन जोशे बहार 
रक्स करना है तो फिर पाँव की जँजीर न देख.

विश्वनाथ दर्द-
हमसे हुई खता तो बुरा मानते हो क्यों 
हम भी तो आदमी हैं कोई देवता नहीं.

आलम कुरैशी-
तुम दोस्तों का जर्फ अगर आजमाओगे 
होठों पै दुश्मनों की शिकायत न लाओगे.

डा. के.के. ऋषि-
'कीजिये' ऐसा के औरों को परेशानी न हो 
और वो 'कहिये' के फिर खुद को परेशानी न हो.

अरमान वारसी-
खलूसो प्यार की बातें सदा जबान पै रख 
नजर जमीन पै रख चाहे आसमान पै रख.

निदा फाजली-

इक मुसाफर के सफर जैसी है दुनिया 
कोई जल्दी में कोई देर में जानेवाला.

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