राजपुरुषों को रिझाया जा रहा है
राग-दरबारी सुनाया जा रहा है।
बदजुबानों चुप रहो दिल्ली शहर में
इन दिनों उत्सव मनाया जा रहा है।
ये प्रथा है धर्मप्राणों की चिरन्तन
दूध साँपों को पिलाया जा रहा है।
बी सियासत गाँव में मुजरा करेंगी
गीत को घुँघरु बनाया जा रहा है।
चाँदनी चौपाइयाँ जख्मी पड़ी हैं
हर तरफ सच्चाइयाँ जख्मी पड़ी हैं।
ये अन्धेरी अट्टहासों की घड़ी है
मंगला शहनाइयाँ जख्मी पड़ी हैं।
वक्त के सर पे चढ़ी है नागफनियाँ
इन दिनों अमराइयाँ जख्मी पड़ी हैं।
इस तिमिरधर्मा सियासत के शिविर में
धूप की अंगराइयाँ जख्मी पड़ी हैं।
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