नींद मेरी सो गई जाकर किसी की बाँह में
रात सब-की-सब किसी के कुन्तलों में बस गई
रुक गई सहसा पवन की साँस किस आकाश में
फिर किसी की याद आकर स्तब्धता को कस गई.
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अकबर इलाहाबादी-
हिन्दी- मुस्लिम में हिन्द की नींव भी है
अफ्तार में है खजूर तो सेव भी है
'अल्लाह-अल्लाह' है जबाँ पर बेशक
लेकिन यक रंग 'बम महादेव' भी है.
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अकबर इलाहाबादी-
बेपर्दा नजर आईं जो कल चन्द बीवियाँ
अकबर जमीं में ग़ैरते-क़ौमी से गड़ गया
पूछा जो उनसे आपका पर्दा किधर गया
बोली वो यों कि अक्ल पे मर्दों की पड़ गया.
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अख़्तर पयामी-
मेरा मयखाना, मेरा जामे-सबू लेते हो
मेरा अहसास, मेरा जौके-नमू लेते हो
पहलू में लिए फिरते हो जन्नत लेकिन
मुस्कुराकर मेरे गर्दन से लहू लेते हो.
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अख़्तर शीरानी-
रिन्दों को बहिश्त की खबर दे साक़ी
इक जाम पिला के मस्त कर दे साक़ी
पैमाना-ए-उम्र है छलकने के करीब
भर दे साक़ी, शराब भर दे साक़ी.
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