शनिवार, 24 जनवरी 2015

अर्ज़ किया है- 3



अजहर रिज़वी- 
आह! अजहर ये जिन्दगी मेरी 
एक नाकामियों का धारा है 
जी रहा था किसी की हसरत में 
अब खुदा जाने क्या सहारा है.

***

अजहर रिज़वी- 
दिल के ज़ख़्मों से खेल लो अजहर 
अभी कुछ और रात बाकी है 
ज़िन्दगी ख़त्म हो चुकी लेकिन 
आरज़ू-ए-हयात बाकी है.

***

अब्दुल हमीद 'अदम' - 
जवानी बेशकीमती हादसा है 
मुहब्बत खूबसूरत दर्दे-सर है 
अबद तक काश मंजिल तक न पहुँचे 
मेरा मेहबूब मेरा हमसफर है.

***

अब्दुल हमीद 'अदम' -
मेरे जीने की बेमकसद तमन्ना 
अचानक हर्फ़े-मतलब हो गयी है 
तुम्हारी इक नज़र ज़ाया हुई है 
मेरी दुनिया मरत्तब हो गयी है.

***

अब्दुल हमीद 'अदम' -
कुछ उनके जाने वाले मरासम की तल्ख याद 
कुछ उनकी आने वाली मुलाकात की खुशी 
हम ख़राब हालों से पूछे कोई जरा 
क्या चीज है ख़राबिये-हालात के खुशी.

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