शनिवार, 24 जनवरी 2015

अर्ज़ किया है- 5



वो जो भड़काई थी हमने ही तबाही के लिए 
अब उसी आग में हम शामो-सहर जलते हैं. 
- राजन सरहदी

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ये महंगाईज़दा बच्चे हैं शायद 
खिलोने देखकर मचले नहीं हैं. 
- असद रज़ा

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हम कफसवालों को इतना तो बता दे कोई 
क्या ये सच है के गुलिस्तां में बहार आई है? 
- कंवर महेंद्र सिंह बेदी

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आप क्या हमको सिखायेंगे शराफत का सबक 
हमने विरसे में बुजुर्गों से शराफत ली है. 
- अरफान परभनवी

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हद से आगे न गुजर पेशे-नजर रख अंज़ाम 
जितनी चादर है तेरी पांव भी उतना ही फैला. 
- अरफ़ान परभनवी

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सूरज का जो गरूर है टूटेगा एक दिन 
ज़र्रों की आबोताब बढ़ाते हुए चलो. 
- तरब मेरठी

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