आहट है न दस्तक कोई उम्मीद न वादा
किसके लिए मैं अपना सफर रोके हुए हूँ.
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साहिर होश्यारपुरी-
ग़म से ग़म हो ना खुशी से हो खुशी का एहसास
ऐसी तदबीर भी ऐ दिल कोई कर दी जाय.......
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होती है इज़तराब से तकमीले-ज़िन्दगी
मुश्किल के बाद इक नई मुश्किल तलाश कर.
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प्रकाशनाथ परवेज़-
देखना ये है के अब कौन है किससे बढ़कर
हुस्न तुम रखते हो हम हुस्ने-नज़र रखते हैं.
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सुल्तान अंज़म-
तुझको चाहें के तुझसे रुठें हम
ज़िन्दगी क्या तेरा इरादा है.
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परवीन कुमार अश्क़-
फूल छूने से भी कट जाती थी जिसकी उंगली
आज उस शख़्स के हाथों में भी पत्थर देखा.
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एडवन दास वाकफ़-
ख़ाना वीरानी का अपनी खुद हमें अहसास है
वो हमारे घर नहीं आए बहोत अच्छा हुआ.
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शान मैराज़-
आरज़ू जीने की है तो जी चट्टानों की तरह
वर्ना पत्ते की तरह इक दिन हवा ले जायेगी.
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अली अहमद ज़लीली-
रोज़ पढ़ता हूँ उसे- रात की तन्हाई में
एक वो ख़त के अभी तक जिसे लिखा ही नहीं.
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