रास्ते की गर्द भी मुझसे बहोत नाराज है
होगा मेरे साथ चलने के लिए तैयार कौन.
होगा मेरे साथ चलने के लिए तैयार कौन.
डा. के.के. ऋषि-
जो घर बनाओ तो इक पेड़ भी लगा लेना
परिन्दे सारे मुहल्ले में चहचहायेंगे.
परिन्दे सारे मुहल्ले में चहचहायेंगे.
शाद कादरी-
सूरत अगर हसीं है तो सीरत हसीं नहीं
ये कैसी रौशनी है- कहीं है कहीं नहीं.
ये कैसी रौशनी है- कहीं है कहीं नहीं.
मंजर मजीद-
दुश्मनों की भीड़ में कुछ दोस्त भी मौजूद हैं
देखते रहना करेगा मुझपै पहला वार कौन.
देखते रहना करेगा मुझपै पहला वार कौन.
बशीर बदर-
इसी शहर में कई साल से मेरे कुछ करीबी अजीज हैं
इन्हें मेरी कोई खबर नहीं मुझे उनका कोई पता नहीं.
इन्हें मेरी कोई खबर नहीं मुझे उनका कोई पता नहीं.
अजीज गाजीपुरी-
हार पर भी जो उसूले-जिन्दगी समझा गये
आओ कर लें आज हम उन हस्तियों का तजकरा.
आओ कर लें आज हम उन हस्तियों का तजकरा.
डा. के.के. ऋषि-
अज़्म का दामन पकड़कर देखिये
मुश्किलें आसानियाँ हो जायेंगी.
मुश्किलें आसानियाँ हो जायेंगी.
राहत इन्दौरी-
बहोत ग़रूर है तुझको ऐ सरफिरे तूफां
मुझे भी जिद है के दरिया को पार करना है.
मुझे भी जिद है के दरिया को पार करना है.
शाकर अन्सारी-
कोई जागे के न जागे ये मुकद्दर उसका
आपका फ़र्ज़ है, आवाज़ लगाते रहिये.
आपका फ़र्ज़ है, आवाज़ लगाते रहिये.
आलम बलयावी-
ज़माने की नज़र से इसलिए मैं गिर गया शायद
के औरों की तरह मुझको रयाकारी नहीं आती.
के औरों की तरह मुझको रयाकारी नहीं आती.
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