जग में वर्ना कौन किसी का होता है
सबका मकसद अपना अपना होता है.
सबका मकसद अपना अपना होता है.
डा. के.के. ऋषि-
कभी नाकामिए किस्मत का वो शिकवा नहीं करते
जिन्हें मालूम है तदबीर से तकदीर बनती है.
जिन्हें मालूम है तदबीर से तकदीर बनती है.
बशीर बद्र-
बिछड़ते वक्त कोई बदगुमानी दिल में आ जाती
उसे भी गम नहीं होता मुझे भी गम नहीं होता.
उसे भी गम नहीं होता मुझे भी गम नहीं होता.
आलम बलयावी-
कुछ करके भला लेके गरीबों की दुआयें
तुम बिगड़ी हुई अपनी बना क्यों नहीं लेते.
तुम बिगड़ी हुई अपनी बना क्यों नहीं लेते.
निदा फाजली-
औरों जैसे होकर भी हम बाइज्जत हैं बस्ती में
कुछ लोगों का सीधापन है कुछ अपनी अय्यारी है.
कुछ लोगों का सीधापन है कुछ अपनी अय्यारी है.
हसरत देहलवी-
तेरे चलने से अगर उड़ती है ख़ाक
ऐ बशर अश्कों के छींटे देके चल.
ऐ बशर अश्कों के छींटे देके चल.
आलम कुरैशी-
फुटपाथ पर ठिठर के जो कल रात मर गया
उस आदमी का शहर के सखियों में नाम था.
उस आदमी का शहर के सखियों में नाम था.
आर.डी. शर्मा 'तासीर'-
तुम्हारे माथे पर मेहनत के कतरे
तुम्हारे रिज़िक के जामन रहेंगे.
तुम्हारे रिज़िक के जामन रहेंगे.
अख्तर मधुपुरी-
किसी के अहदे-वफा तोड़ने पै हैरत क्या
ये सानहा यहाँ अक्सर दिखाई देता है.
ये सानहा यहाँ अक्सर दिखाई देता है.
अयूब ऐजाज-
ये अलग बात हवाओं ने दगाबाजी की
हम तो निकले थे चरागों को जलाने के लिए.
हम तो निकले थे चरागों को जलाने के लिए.
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