दिल की बातों को ग़जल का इक नया अन्दाज दूँ
मुझमें अब दम ही कहाँ है जो तुझे आवाज दूँ.
मुझमें अब दम ही कहाँ है जो तुझे आवाज दूँ.
सोचता हूँ अपनी मुस्कानें तुझे ही सौंपकर
अपने दिल की धड़कनों को एक टूटा साज दूँ.
अपने दिल की धड़कनों को एक टूटा साज दूँ.
मुझपे बस इक दिल ही था जो टुकड़े-टुकड़े हो गया
अब बचा ही क्या है मुझमें जो तुझे, हमराज दूँ.
अब बचा ही क्या है मुझमें जो तुझे, हमराज दूँ.
साँस के पिंजड़े में आखिर बन्द रहना है तुझे
फिर भी आ, ग़म के परिन्दे, मैं तुझे परवाज़ दूँ.
फिर भी आ, ग़म के परिन्दे, मैं तुझे परवाज़ दूँ.
(परवाज़- उड़ान)
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